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Sufinama

अपनी ख़ुदी के हम हैं पुजारी

अज़ीज़ुद्दीन रिज़वाँ क़ादरी

अपनी ख़ुदी के हम हैं पुजारी

अज़ीज़ुद्दीन रिज़वाँ क़ादरी

अपनी ख़ुदी के हम हैं पुजारी

चित्त भी हमारी पट भी हमारी

ऐसे पुजारी दोज़ख़ पे भारी

चित्त भी हमारी पट भी हमारी

दोनों जहाँ में हम सब से आ'ला

क़ुरआँ में देखो इस का हवाला

अल्लाह नबी की शक्ल हमारी

चित्त भी हमारी पट भी हमारी

हमराज़ उस के वो राज़ अपना

हम उस के सपने वो अपना सपना

अब रंग लाई क़िस्मत हमारी

चित्त भी हमारी पट भी हमारी

दोज़ख़ में जा कर आग बुझाएँ

जन्नत में जा कर आग लगाएँ

हम उन के मालिक मर्ज़ी हमारी

चित्त भी हमारी पट भी हमारी

अल्लाह नबी पर ईमान अपना

दोस्त बना है शैतान अपना

छाई है हम पर रहमत-ए-बारी

चित्त भी हमारी पट भी हमारी

अपने सिवा जब कोई नहीं है

कोई नहीं पर अपना यक़ीं है

ऐसे नहीं पर तन मन वारी

चित्त भी हमारी पट भी हमारी

ख़ुद ही मुसव्विर तस्वीर ख़ुद हम

हम ख़ुद ही नुक्ता तहरीर ख़ुद हम

ख़ुद ही निशाना ख़ुद ही शिकारी

चित्त भी हमारी पट भी हमारी

कसरत में बू है वहदत की 'रिज़वाँ

वहदत में लज़्ज़त वसलत की रिज़वाँ

ख़ल्वत-कदे में बाद-ए-बहारी

चित्त भी हमार पट भी हमारी

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अज्ञात

अज्ञात

स्रोत :
  • पुस्तक : अल-कबीर

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