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कलाम
ग़ौसी शाह
कलाम
कहाँ ले जाऊँ दिल दोनों जहाँ में सख़्त मुश्किल हैयहाँ परियों का मजमा' है वहाँ हूरों की महफ़िल है
अकबर लखनवी
कलाम
रौशन जहाँ है जिस से वो महफ़िल तुम्हें तो होदिल जिस को ढूँढता है वो मंज़िल तुम्हें तो हो
बह्ज़ाद लखनवी
कलाम
क़ाज़ी उम्राओ अली जमाली
कलाम
ये जहाँ भी तू है इस की आख़िरी मंज़िल भी तूबानी-ए-महफ़िल भी तू है ख़ातिम-ए-महफ़िल भी तू
मयकश अकबराबादी
कलाम
लेकर जहाँ के हुस्न को शम्स-ओ-क़मर को क्या करूँमुझ को तो तुम पसंद अपनी नज़र को क्या करूँ
अब्दुल हादी काविश
कलाम
ज़बान-ए-जल्वा से है गोया जहाँ का सारा निगार-ख़ानाफ़साना-ए-ग़ैर इक हक़ीक़त हक़ीक़त-ए-ग़ैर इक फ़साना
कामिल शत्तारी
कलाम
दिगर-गूँ है जहाँ तारों की गर्दिश तेज़ है साक़ीदिल-ए-हर-ज़र्रा में ग़ोग़ा-ए-रुस्ता-ख़े़ज़ है साक़ी