आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "दुनिया-ए-पुर-फरेब"
Kalaam के संबंधित परिणाम "दुनिया-ए-पुर-फरेब"
कलाम
हर इक ए'तिबार से आज तक हूँ फ़क़त फ़रेब-ए-ख़याल में
मिरी ज़िंदगी का शुमार है न फ़िराक़ में न विसाल में
कामिल शत्तारी
कलाम
जवानी ख़्वाब की सी बात है दुनिया-ए-फ़ानी में
मगर ये बात किस को याद रहती है जवानी में
सीमाब अकबराबादी
कलाम
दुनिया है ये अंदाज़-ए-शबिस्ताँ कोई दिन और
अच्छा तो फिर इक ख़्वाब-ए-परेशाँ कोई दिन और
सीमाब अकबराबादी
कलाम
मिरी ज़ीस्त पुर-मसर्रत कभी थी न है न होगी
कोई बेहतरी की सूरत कभी थी न है न होगी
पीर नसीरुद्दीन नसीर
कलाम
ऐ दिल-ए-पुर-सुरूर-ए-मन नाज़ न बन नियाज़ बन
साक़ी-ए-मस्त-ए-नाज़ की आँखों में सरफ़राज़ बन
शाह मोहसिन दानापुरी
कलाम
फ़रेब-ए-आगही से वज्द में है राज़-दाँ मेरा
कि जैसे उस के दिल की चोट है दर्द-ए-निहाँ मेरा
सीमाब अकबराबादी
कलाम
यही इक आरज़ू रहती है बेकल दिल की दुनिया में
कि गुम हो जाऊँ 'एहसाँ' जल्वा-ए-जान-ए-तमन्ना में