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कलाम
ये फ़ज़ा ये चाँदनी रातें ये दौर-ए-जाम-ओ-मयमस्तियों में ग़र्क़ हो जाने का मौसम आगया
इक़बाल सफ़ीपुरी
कलाम
ग़ौसी शाह
कलाम
कहाँ ले जाऊँ दिल दोनों जहाँ में सख़्त मुश्किल हैयहाँ परियों का मजमा' है वहाँ हूरों की महफ़िल है
अकबर लखनवी
कलाम
रौशन जहाँ है जिस से वो महफ़िल तुम्हें तो होदिल जिस को ढूँढता है वो मंज़िल तुम्हें तो हो
बह्ज़ाद लखनवी
कलाम
क़ाज़ी उम्राओ अली जमाली
कलाम
ये जहाँ भी तू है इस की आख़िरी मंज़िल भी तूबानी-ए-महफ़िल भी तू है ख़ातिम-ए-महफ़िल भी तू