परिणाम "मुतमइन"
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'पुरनम' आ गए वो मेरे घरमुतमइन हयात हो गई
राज़ क्या है कि हज़रत-ए-'वासिल'मुतमइन सब गँवाए बैठे हैं
मुतमइन हो ही गए दाम-ओ-क़फ़स में 'साग़र'हम असीरों ने नशेमन को बहुत याद किया
कौन बैठा है अब अंदेशा-ए-फ़र्दा ले करमुतमइन हूँ तिरी निस्बत का सहारा ले कर
बरहम मिज़ाज-ए-आ’लम-ए-इम्काँ है आज-कलजो मुतमइन है वो भी परेशाँ है आज-कल
बज़्म-ए-अहबाब में हासिल न हुआ चैन मुझेमुतमइन दिल है बहुत जब से अलग बैठा हूँ
कश्ती ख़ुदा पे छोड़ के बैठा है मुतमइनदरिया में फेंक दूँ न कहीं ना-ख़ुदा को मैं
क्या करूँ दौलत-ए-’उक़्बा की तमन्ना कर केमुतमइन हूँ मैं दर-ए-यार पे सज्दा कर के
हूँ हर मआल-ए-कार से बे-फ़िक्र-ओ-मुतमइनदामन बंधा है दामन-ए-तुर्क-ए-अ'जम के साथ
मेरी मसर्रतों में था जल्वा-ए-दहर भी शरीकमुझ को मिटा के मुतमइन ऐ ग़म-ए-ना-गहाँ न हो
तेरा राज़ मैं मेरा राज़ तू नहीं अब मुझे कोई जुस्तुजूदिल-ए-मुज़्तरिब हुआ मुतमइन छुपा राज़ जो था बता दिया
डूबता जा रहा था सफ़ीना मिरा बहर-ए-ग़म में बड़े मुतमइन तौर सेवो जो आए इरादा बदलना पड़ा उन का साहिल पे आना ग़ज़ब हो गया
आज इक अजनबी से निगाहें मिलीं सिर्फ़ इक लम्हा-ए-मुख़्तसर के लिएदिल कुछ इस तरह से मुतमइन हो गया जैसे कुछ पा लिया 'उम्र-भर के लिए
वो बख़्श दे मुझ को या न बख़्शे मैं उस का बंदा वो मेरा मौलामैं इस मसर्रत से मुतमइन हूँ कि उस से इक रोज़ दू-ब-दू है
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