आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "रुस्वा-कुन-ए-दिल्ली-ओ-लखनऊ"
Kalaam के संबंधित परिणाम "रुस्वा-कुन-ए-दिल्ली-ओ-लखनऊ"
कलाम
बहर-जल्वा न रुस्वा कर मज़ाक़-ए-चश्म-ए-हैराँ कोयही बातें निगाहों से गिरा देती हैं इंसाँ को
सीमाब अकबराबादी
कलाम
कुन-फ़-यकून जदों फ़रमाया असाँ भी कोले हासे हूहिक्के ज़ात सिफ़ात रब्बे दी हिक्के जग ढूँडयासे हू
सुल्तान बाहू
कलाम
सहबा अकबराबादी
कलाम
पीर नसीरुद्दीन नसीर
कलाम
मय-ए-वहदत से ओ साक़ी लबालब एक साग़र देमैं बंदा तेरा हो जाऊँ तू मतवाला मुझे कर दे
शाह तुराब अली क़लंदर
कलाम
ये असीर-ए-रंज-ओ-राहत में असीर-ए-ज़ुल्फ़-ए-जानानाभला क्या समझ सकेगा मुझे ना समझ ज़माना