'अली इमाम-ए-मनस्त-ओ-मनम ग़ुलाम-ए-'अली
रोचक तथ्य
مناقب در شان حضرت علی مرتضیٰ (نجف-عراق)
'अली इमाम-ए-मनस्त-ओ-मनम ग़ुलाम-ए-'अली
हज़ार जान-ए-गिरामी फ़िदा-ए-नाम-ए-'अली
हैदरियम क़लन्दरम मस्तम
बंदा-ए-मुर्तज़ा 'अली हस्तम
पेशवा-ए-तमाम-ए-रिन्दानम
कि सग-ए-कू-ए-शेर-ए-यज़्दानम
कभी दीवार हिलती है कभी दर काँप जाता है
'अली का नाम सुन-कर अब भी ख़ैबर काँप जाता है
शाह-ए-मर्दां 'अली
'अली 'अली 'अली
'अली मौला 'अली
पत्थर पे 'अलम दीन का गाड़ा जिस ने
ललकार कर मरहब को पछाड़ा जिस ने
हक़
'अली 'अली 'अली
'अली मौला 'अली
जप ले जप ले मेरे मनवा
यही नाम सच्चा है प्यारे
यही नाम तेरे सब दुख हारे
इसी नाम की बरकत ने दिया राज़-ए-हक़ीक़त खोल
शाह-ए-मर्दां 'अली
ला फ़तल इल्ला 'अली
शेर-ए-यज़्दाँ 'अली
तन पर 'अली 'अली हो ज़बाँ पर 'अली 'अली
मर जाऊँ तो कफ़न पर भी लिखना 'अली 'अली
ब-ग़ैर हुब्ब-ए-अ'ली मुद्दआ नहीं मिलता
'इबादतों का भी हरगिज़ सिला नहीं मिलता
ख़ुदा के बंदो सुनो ग़ौर से ख़ुदा की क़सम
जिसे 'अली नहीं मिलता उसे ख़ुदा नहीं मिलता
ब-सद तलाश न अब कुछ वुस'अत नज़र से मिला
निशान-ए-मंज़िल-ए-मक़्सूद रहबर से मिला
'अली मिले तो मिले ख़ाना-ए-ख़ुदा से हमें
ख़ुदा को ढूँढा तो वो भी 'अली के घर से मिला
दीद-ए-हैदर की 'इबादत है ये फ़रमान-ए-नबी
है 'अली रूह-ए-नबी जिस्म-ए-नबी, जान-ए-नबी
गुल-ए-तत्हीर 'अली
हक़ की शमशीर 'अली
पीरों के पीर 'अली
दस्त-ए-इल्ला क्यूँ न हो शेर-ए-ख़ुदा 'अली
मक़्सूद हर-अता है शाह-ए-ला-फ़ता 'अली
जिस तरह एक ज़ात-ए-मोहम्मद है बे-मिसाल
पैदा हुआ न होगा कोई दूसरा 'अली
बेदम यही तो पाँच हैं मक़्सूद-ए-काइनात
ख़ैरुन्निसा हुसैन-ओ-हसन मुस्तफ़ा 'अली
हक़
'अली 'अली 'अली
'अली मौला 'अली
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