परिणाम "शोख़ियाँ"
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कभी शोख़ियाँ दिखाना कभी उन का मुस्कुरानाये अदाएँ कर न डालें मेरा काम चुपके चुपके
शोख़ियाँ वस्ल में करती हैं जो दिल को मायूसशर्म देती है तसल्ली कि मआल अच्छा है
शोख़ियाँ रग रग में हैं जमता वहाँ किस का है रँगआते आते हाथ में रंग-ए-हिना जाता रहा
जिन हसीनों में भरे थे कूट कर नाज़-ओ-अदासब के सब ख़ामोश हैं अब शोख़ियाँ कुछ भी नहीं
वही उनकी शोख़-ए-तजल्लियाँ वही 'कामिल' और वही बिजलियाँकहे कौन क्या हैं ये शोख़ियाँ कि मजाल-ए-चूँ-ओ-चिरा नहीं
यही हश्र है जिसे सुनते थे तो ये ताज़ा फ़ित्ना नहीं है कुछवो जो पहले करते थे शोख़ियाँ वही आके शोर मचा गए
देखो अच्छा नहीं ये तुम्हारा चलन ये जवानी के दिन और ये शोख़ियाँयूँ न आया करो बाल खोले हुए वर्ना दुनिया में बदनाम हो जाओगे
न वो 'इश्क़ में रहीं गर्मियाँ न वो हुस्न में रहीं शोख़ियाँन वो ग़ज़नवी में तड़प रही न वो ख़म है ज़ुल्फ़-ए-अयाज़ में
किसी की ये शोख़ियाँ तो देखो ये हम से हमदर्दियाँ तो देखोये जो आग दिल में दबी हुई थी उसे हवा दे के जा रहे हैं
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