परिणाम "सख़ावत"
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ज़क़ात-ओ-रोज़ा के अरकान होते हैं अदा इस मेंसख़ावत 'आम होती है सख़ावत का महीना है
तेग़-ए-मैदान-ए-शुजा’अत में चमकती बिजलीहाथ गुलज़ार-ए-सख़ावत में बरसता बादल
बयान करता हूँ हैदर की मैं ’इनायत काजवाब मिलता नहीं आप की सख़ावत का
'अजब दौलत है 'आलम हैं हिदायत पीर की मेरेबटा करती है सब दर-दर सख़ावत पीर की मेरे
नहीं कुछ इम्तियाज़-ए-कुफ़्र-ओ-ईमाँ ता’अत-ओ-’इस्याँखुला सब के लिए हूँ जिस का दामन वो सख़ावत हूँ
मैं मंगता हूँ मगर वल्लाह 'फ़राज़' इस दर का मंगता हूँसख़ावत में न सानी जिस के दर का कोई दर होगा
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