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कलाम
ज़ख़्मों से कलेजे को भर दे बर्बाद सुकून-ए-दिल कर देओ नाज़ भरी चितवन वाले आ और मुझे बिस्मिल कर दे
मुज़्तर ख़ैराबादी
कलाम
वही सब से बड़ी ने'मत है जो मिल जाए बे-माँगेसुकून-ए-दिल से बेहतर इज़्तिराब-ए-दिल समझता हूँ
सीमाब अकबराबादी
कलाम
ऐ तसव्वुर क्या सुकून-ए-दिल था तुझ को नागवारतू ने उन को सामने ला कर ख़िरामाँ कर दिया
बह्ज़ाद लखनवी
कलाम
किसी करवट किसी पहलू सुकून-ए-दिल न पाऊँ मैंतिरी उल्फ़त में हाल-ए-दिल हमारा हो तो ऐसा हो
फ़राज़ वारसी
कलाम
जिस की यज़्दाँ को तमन्ना जिस की 'आलम को तलाशवो सुरूर-ए-जाँ भी तू है वो सुकून-ए-दिल भी तू
मयकश अकबराबादी
कलाम
कामिल शत्तारी
कलाम
न है बुत-कदा की तलब मुझे न हरम के दर की तलाश हैजहाँ लुट गया है सुकून-ए-दिल उसी रहगुज़र की तलाश है
अमीर बख़्श साबरी
कलाम
अज़्म-ए-फ़रियाद! उन्हें ऐ दिल-ए-नाशाद नहींमस्लक-ए-अहल-ए-वफ़ा ज़ब्त है फ़रियाद नहीं
सीमाब अकबराबादी
कलाम
अज़ीज़ुद्दीन रिज़वाँ क़ादरी
कलाम
तिरा क्या काम अब दिल में ग़म-ए-जानाना आता हैनिकल ऐ सब्र इस घर से कि साहिब-ख़ाना आता है
अमीर मीनाई
कलाम
दिल जिगर को आश्ना-ए-दर्द-ए-उल्फ़त कर दियाइक निगाह-ए-नाज़ ने सामान-ए-राहत कर दिया