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कलाम
हम तो हैं परदेस में देस में निकला होगा चाँदअपनी रात की छत पर कितना तन्हा होगा चाँद
राही मासूम रज़ा
कलाम
ब-रोज़-ए-हश्र हाकिम क़ादिर-ए-मुतलक़ ख़ुदा होगाफ़रिश्तों के लिखे और शैख़ की बातों से क्या होगा