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कलाम
बुझे जाते हैं दिल तारीक महफ़िल होती जाती हैये दुनिया क़ब्र बन जाने के क़ाबिल होती जाती है
सीमाब अकबराबादी
कलाम
वो आग़ाज़-ए-मोहब्बत के भी क्या दिन थे अरे तौबाकि अब हर शाम इक शाम-ए-मुसीबत होती जाती है
एहसान दानिश
कलाम
घिर-घिर के बादल आते हैं और बे-बरसे खुल जाते हैंउम्मीदों की झूटी दुनिया में सूखी बरसातें होती हैं
आरज़ू लखनवी
कलाम
इश्क़ असानूँ लिस्याँ जाता कर के आवे धाई हूजित वल वेखां इश्क़ दिसीवे ख़ाली जा न काई हू
सुल्तान बाहू
कलाम
तुम्हारी अंजुमन से उठ के दीवाने कहाँ जातेजो वाबस्ता हुए तुम से वो अफ़्साने कहाँ जाते
क़तील शिफ़ाई
कलाम
इस हिज्र के जीने से 'आज़म' मरना ही गवारा है मुझ कोसुनते हैं लहद में हज़रत की तस्वीर दिखाई जाती है
अज़म चिश्ती
कलाम
पी के मय तेरी दु'आ करता है ये मस्ताना अबहश्र तक क़ाइम रहे साक़ी तिरा मय-ख़ाना अब