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कलाम
यार ख़ुद जल्वा-नुमा था मुझे मा'लूम न थाग़ुंचा-ओ-गुल में बसा था मुझे मा'लूम न था
शाह फ़िदा हुसैन फ़य्याज़ी
कलाम
शक्ल आँखों में मिरी जल्वा-नुमा किस की हैपर्दा-ए-दिल से जो निकली ये सदा किस की है
मिर्ज़ा अश्क लखनवी
कलाम
क्या दिल कहूँ दिलबर कहूँ या जाँ कहूँ या क्या कहूँया मन कहूँ मोहन कहूँ जानाँ कहूँ या क्या कहूँ
सादिक़ु अली शाह
कलाम
क्या कहें मिल्लत-ओ-दीं कुफ़्र है ईमाँ अपनापेश-ए-बुत-ए-सज्दा है और दैर है ऐवाँ अपना
तसद्दुक़ अ’ली असद
कलाम
कहीं सोज़-ए-जिगर में वो कहीं दर्द-ए-निहाँ हो करकहीं हैं वो किसी दिल में कहीं शोर-ओ-फ़ुग़ाँ हो कर
तसद्दुक़ अ’ली असद
कलाम
दिल जिस से ज़िंदा है वो तमन्ना तुम्हीं तो होहम जिस में बस रहे हैं वो दुनिया तुम्हीं तो हो
ज़फ़र अली ख़ान
कलाम
टुक साथ हो हसरत दिल-ए-मरहूम से निकले'आशिक़ का जनाज़ा है ज़रा धूम से निकले
मिर्ज़ा मोहम्मद अली फ़िदवी
कलाम
हसीनों में सभी कुछ है जफ़ा भी है वफ़ा भी हैनिगाह-ए-नाज़ाँ की दर्द भी है और दवा भी है