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कलाम
क़ुर्बान-ए-फ़ना एक तजल्ली-ए-तेरी होएज़ुल्मत-कदा-ए-हस्तती-ए-मौहूम से निकले
मिर्ज़ा मोहम्मद अली फ़िदवी
कलाम
ढूँढ उस जगह किशवर-ए-’अली बाब-ए-’इल्म है’उक़्दा वहीं से होवे है हल मुश्किलात का
मिर्ज़ा मोहम्मद अली फ़िदवी
कलाम
'सौदा-गर' हाल-ए-मिर्ज़ा पाकर ये कह रहा हैहै ज़ात कंज़-ए-मख़्फ़ी ज़ात-ए-बक़ा-ए-मिर्ज़ा
शाह सिद्दीक़ सौदागर
कलाम
मैं बुरा हूँ या भला हूँ मेरी लाज को निभानामुझे जानता है साजन तेरे नाम से ज़माना
मोहम्मद अली ज़ुहूरी
कलाम
कामिल शत्तारी
कलाम
तर्क-ए-दुनिया तर्क-ए-’उक़्बा तर्क-ए-मौला तर्क-ए-तर्कया'नी यूँ बे-आरज़ू जीने की 'आदत कर के देख
कामिल शत्तारी
कलाम
ग़ुबार-ए-आस्ताँ हर रोज़ झाड़े मेहर-ए-मिज़्गाँ सेबिछाए माह हर शब चादर-ए-शफ़्फ़ाफ़ का'बा में
हाजी वारिस अली शाह
कलाम
रोती है शबनम कि नैरंग-ए-जहाँ कुछ भी नहींहँस रहे हैं गुल कि रंग-ए-बोस्ताँ कुछ भी नहीं
शाह वारिस अली
कलाम
मोहम्मद बादशाह क़ादरी
कलाम
डरे गुनह से बला हमारी अज़ल के दिन से जनाब-ए-बारीहमारे आक़ा-ए-नामवर को शफ़ीअ'-ए-महशर बना चुके हैं