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कलाम
माहिरुल क़ादरी
कलाम
हम तो हैं परदेस में देस में निकला होगा चाँदअपनी रात की छत पर कितना तन्हा होगा चाँद
राही मासूम रज़ा
कलाम
ऐ सय्यद मोहम्मद जान 'क़दीर' तेरी सूरत में है भेद छुपादीवाना करीमुल्लाह ने दीवाना बना कर छोड़ दिया
मोहम्मद बादशाह क़दीर
कलाम
मोहम्मद बादशाह क़ादरी
कलाम
क़ुर्बान-ए-फ़ना एक तजल्ली-ए-तेरी होएज़ुल्मत-कदा-ए-हस्तती-ए-मौहूम से निकले
मिर्ज़ा मोहम्मद अली फ़िदवी
कलाम
तुम्हें मैं जानता हूँ तुम बदलते हो हज़ारों रंगनहीं मैं ग़ैर उठा कर पर्दा-ए-रू-ए-बशर आओ
आग़ा मुहम्मद दाऊद
कलाम
रहा बार-ए-अमानत गो वबाल-ए-दोश रस्ते भरन कंधा भी मगर हम ने तह-ए-बार-ए-गराँ बदला
ख़्वाजा अज़ीज़ुल हसन मज्ज़ूब
कलाम
यही इरशाद-ए-मुर्शिद है यही तो राज़-ए-मुर्शिद हैमुराद पाया मेरा नफ़्स-ए-’अदू-ए-बे-शरम मेरा
मोहम्मद बादशाह क़दीर
कलाम
लब्ब-ए-लुबाब-ए-जुमला कमालात-ए-'इश्क़ हैमुम्किन नहीं कि 'इश्क़ भी हो औलिया न हो
गुलाम मुहम्मद जल्लानवी
कलाम
ढूँढ उस जगह किशवर-ए-’अली बाब-ए-’इल्म है’उक़्दा वहीं से होवे है हल मुश्किलात का
मिर्ज़ा मोहम्मद अली फ़िदवी
कलाम
मस्ति-ए-सीना ब-सीना मस्त हम साक़ी अलस्तदम-बदम हमदम रवाँ चौबीस हज़ार तारों में हूँ
मोहम्मद बादशाह क़दीर
कलाम
मैं बुरा हूँ या भला हूँ मेरी लाज को निभानामुझे जानता है साजन तेरे नाम से ज़माना