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कलाम
जहान-ए-शौक़ की दुनिया परेशाँ है जहाँ मैं हूँहर इक जानिब मिरा जल्वा नुमायाँ है जहाँ मैं हूँ
बह्ज़ाद लखनवी
कलाम
जहान-ए-आशिक़ी कहते हैं जिस को वो जहाँ मैं हूँमोहब्बत की ज़मीं मैं हूँ वफ़ा का आसमाँ मैं हूँ
बह्ज़ाद लखनवी
कलाम
जहाँ अगरचे दिगर-गूँ है क़ुम-बि-इज़्निल़्लाहवही ज़मीं वही गर्दूं है क़ुम-बि-इज़्निल़्लाह
अल्लामा इक़बाल
कलाम
ज़बान-ए-जल्वा से है गोया जहाँ का सारा निगार-ख़ानाफ़साना-ए-ग़ैर इक हक़ीक़त हक़ीक़त-ए-ग़ैर इक फ़साना
कामिल शत्तारी
कलाम
लेकर जहाँ के हुस्न को शम्स-ओ-क़मर को क्या करूँमुझ को तो तुम पसंद अपनी नज़र को क्या करूँ
अब्दुल हादी काविश
कलाम
जहाँ बदला तो बदला तू भी ऐ जान-ए-जहाँ बदलाज़मीं बदली तो बदली थी ग़ज़ब है आसमाँ बदला