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कलाम
जो मैं सर-ब-सज्दा हुआ कभी तो ज़मीं से आने लगी सदातिरा दिल तो है सनम-आश्ना तुझे क्या मिलेगा नमाज़ में
अल्लामा इक़बाल
कलाम
दोनों आ'लम की ख़बर है और ख़ुद से बे-ख़बरबे-ख़ुदी में भी तिरा मय-ख़्वार तो बा-होश है
अब्दुल हादी काविश
कलाम
मैं ग़ैर नहीं ऐ जाँ क्यूँ होते हो तुम अनजाँमुझ से तो हमेशा से है रब्त-ओ-शनासाई
मौलाना अ’ब्दुल क़दीर हसरत
कलाम
अपनी निगाह-ए-शौक़ को रोका करेंगे हमवो ख़ुद करें निगाह तो फिर क्या करेंगे हम
मौलाना अ’ब्दुल क़दीर हसरत
कलाम
ताबिश कानपुरी
कलाम
अब्दुल हादी काविश
कलाम
मर्दों का तअ'ल्लुक़ तो अल्लाह से है वाइ'ज़है उस बुत-ए-काफ़िर से ज़िंदों की शनासाई
अब्दुल हादी काविश
कलाम
तिरी फ़ितरत अमीं है मुम्किनात ज़िंदगानी कीजहँ के जौहर मुज़्मर का गोया इम्तिहाँ तो है
अल्लामा इक़बाल
कलाम
मैं होश में हूँ तो तेरा हूँ दीवाना हूँ तो तेरा हूँहूँ राज़ अगर तो तेरा हूँ अफ़्साना हूँ तो तेरा हूँ
ज़हीन शाह ताजी
कलाम
ज़िंदगी भर कोई 'हसरत' न निकाली दिल कीनौहा करते हुए गर आए तो क्या मेरे बा'द