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कलाम
या दिन की बातें होती हैं या रात की बातें होती हैंये दुनिया है इस दुनिया में हर बात की बातें होती हैं
मुनव्वर बदायुनी
कलाम
बीत गया हंगाम-ए-क़यामत रोज़-ए-क़यामत आज भी हैतर्क-ए-तअल्लुक़ काम न आया उन से मोहब्बत आज भी है
शकील बदायूनी
कलाम
शौक़ से ना-कामी की बदौलत कूचा-ए-दिल भी छूट गयासारी उमीदें टूट गईं दिल बैठ गया जी छूट गया
फ़ानी बदायूनी
कलाम
हया बदायुनी
कलाम
चश्म-ए-मजनूँ के लिए दीदार-ए-लैला हर जगहवर्ना ग़ैरों के लिए सद पर्दा-ए-महमिल में है
ख़्वाजा हमीदुद्दीन अहमद
कलाम
शेर-ओ-अदब को आज भी सिन्फ़-ए-ग़ज़ल पे नाज़ हैस’ई-ए-मुहाल-ए-सद 'शकील' स’ई-ए-रइगाँ न हो