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कलाम
मैं तन्हा आब-ओ-रंग बज़्म-ए-इम्काँ हो नहीं सकताये दिल वापस अगर तू इस में मेहमाँ हो नहीं सकता
सीमाब अकबराबादी
कलाम
ऐ जान-ए-जहाँ कब तक ये गोशा-ए-तन्हाईसब दीद के तालिब हैं जितने हैं तमाशाई
मौलाना अ’ब्दुल क़दीर हसरत
कलाम
पढ़ो बादा-गुसारो अब नमाज़-ए-ख़ुद फ़रामोशीसदा-ए-क़ुलक़ुल-ए-मीना हुई तकबीर-ए-मय-ख़ाना
मौलाना अ’ब्दुल क़दीर हसरत
कलाम
तुझ पे क़ुर्बां ऐ हसीन-ओ-महजबीं ये जान-ओ-दिलतू अज़ल ही से ख़ता-कारों का पर्दा-पोश है
अब्दुल हादी काविश
कलाम
ये फ़ज़ा ये चाँदनी रातें ये दौर-ए-जाम-ओ-मयमस्तियों में ग़र्क़ हो जाने का मौसम आगया
इक़बाल सफ़ीपुरी
कलाम
ये असीर-ए-रंज-ओ-राहत में असीर-ए-ज़ुल्फ़-ए-जानानाभला क्या समझ सकेगा मुझे ना समझ ज़माना
अब्दुल हादी काविश
कलाम
सब्ज़ा-ओ-गुल मौज-ए-दरिया अंजुम-ओ-ख़ुर्शीद-ओ-माहइक तअ'ल्लुक़ सब से है लेकिन रक़ीबाना मुझे
जिगर मुरादाबादी
कलाम
ये का'बे से नहीं बे-वज्ह निस्बत-ए-रुख़-ए-यारये बे-सबब नहीं मुर्दे को क़िबला-रू करते
ख़्वाजा हैदर अली आतिश
कलाम
नहीं मानूस होता है क़ियामत तक दिया बरपादिल-ए-वहशी ये बेगाना जो आगे था वो अब भी है
आग़ा मुहम्मद दाऊद
कलाम
इम्दाद अ'ली उ'ल्वी
कलाम
बेदम शाह वारसी
कलाम
है दर्द मुझे ये सुब्ह-ओ-मसा सनमा सनमा सनमा सनमावो रू-ए-मुनव्वर अपना दिखा सनमा सनमा सनमा सनमा
शाह सिद्दीक़ सौदागर
कलाम
कामिल शत्तारी
कलाम
अपने पीर-ओ-मुर्शिद की ये करिश्मा-साज़ी हैजब से उन के हो बैठे ख़ूब सरफ़राज़ी है