आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "zarra"
Kalaam के संबंधित परिणाम "zarra"
कलाम
दर-हक़ीक़त इंक़िलाब-ए-ज़िंदगी ए'जाज़ हैज़र्रा ज़र्रा ख़ाक-ए-हस्ती का जहान-ए-राज़ है
माहिरुल क़ादरी
कलाम
ज़र्रा ज़र्रा से अ'याँ है तेरी वहदत ऐ ख़ुदातेरे जल्वों से मुनव्वर है शबिस्तान-ए-हयात
अब्दुल हादी काविश
कलाम
कौन कहता है तुझे पर्दा-नशीं जान-ए-जहाँज़र्रा ज़र्रा से अ'याँ तो है हिजाबों में नहीं
अब्दुल हादी काविश
कलाम
अब्र-ए-ख़ुदी से ताबाँ है आफ़्ताब-ए-वहदतगोया है ज़र्रा-ज़र्रा बे-ख़ुद हो मैं ख़ुदा हूँ
वतन हैदराबादी
कलाम
ज़र्रा-ज़र्रा ख़ाक का चमका है जिस के नूर सेबे-बसीरत है जिसे वो मह-लक़ा मिलता नहीं
मुस्तफ़ा रज़ा ख़ान
कलाम
जहाँ में फैली जाती है ख़ाकिस्तर मिरे दिल कीजहाँ का ज़र्रा-ज़र्रा साहब-ए-दिल होता जाता है
सीमाब अकबराबादी
कलाम
तुम्हारी ताबिश-ए-रुख़ ही से रौशन ज़र्रा-ज़र्रा हैमह-ओ-ख़ुरशीद-ओ-अंजुम बर्क़ में जल्वा-कुनाँ तुम हो
मुस्तफ़ा रज़ा ख़ान
कलाम
ख़ादिम हसन अजमेरी
कलाम
आज कुछ इस धुन में छेड़ा मैं ने 'माहिर' साज़-ए-इ’श्क़ज़र्रा-ज़र्रा काक-ए-हस्ती का ग़ज़ल-ख़्वाँ हो गया
माहिरुल क़ादरी
कलाम
वो हर ज़र्रा का ख़ालिक़ है वो हर ज़र्रा का मालिक हैबुलंदी भी उसी की और ये पस्ती उसी की है