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अभी दिल्ली दूर है।

वाचिक परंपरा

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MORE BYवाचिक परंपरा

    अभी दिल्ली दूर है (हनूज़ दिल्ली दूर अस्त।)

    अभी कार्य पूर्ण होने में देर है। अभी मंज़िल पाने के लिए बहुत अधिक चलना है।

    जब कोई व्यक्ति अपनी हैसियत से बड़ी वस्तु की चेष्टा करे उस समय भी यह कहावत कहते हैं। इस कहावत का संबंध एक घटना से है जो इस प्रकार हैः

    ग़यासुद्दीन तुग़लक़ सूफ़ी बुज़ुर्ग हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया से यूँ तो कुछ कहता-सुनता था। परंतु दिल में उन के प्रति शत्रुता का भाव रखता था। अतः जिस समय वह बंगाल से लौटा तो उसने एक दूत के माध्यम से हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया के पास अपना यह संदेश पहुँचाया कि आप मेरे पहुँचने से पहले दिल्ली छोड़ दें और अपने निवास स्थान ग़यासपुर से भी हाथ धो लें। निज़ामुद्दीन औलिया को उस का यह संदेश बहुत बुरा लगा। उन्होंने संदेश के उत्तर में केवल यह शब्द कहे ‘बाबा, हनूज़ दिल्ली दूर अस्त।’ अभी दिल्ली दूर है। आशय यह है कि पहले वह दिल्ली पहुँच तो जाए। भगवान की लीला कि बादशाह ग़यासुद्दीन तुग़लक़ दिल्ली के निकट तो पहुँच गया परंतु उस भूमि पर पैर रखना, उसके भाग्य में नहीं था। वह अपने महल के नीचे, जो उसके बेटे ने अफ़गानपुर में अपने लिए बनवाया था, दब कर मर गया।

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