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Sufinama

भजन

सूफ़ी संतों ने भजन भी लिखे हैं जो सूफ़ी ख़ानक़ाहों पर ख़ूब गाये जाते हैं. क़ाज़ी अशरफ़ महमूद द्वारा रचित भजन दर्शनोल्लास को पंडित भीमसेन जोशी जी ने अपनी आवाज़ दी थी जो बड़ी प्रसिद्द हुई ।

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डरामा दुख की चोट

संजर ग़ाज़ीपुरी

मक्के के बासी मदीने बिराजे

नवाब इब्राहीम अ'ली

हर रंग मा हर वारिस पिया

नादिम शाह वारसी

जिन चाहा तिन पावा रे साधो

अमीनुद्दीन वारसी

हर-सूँ कौन कहे मोरी बाताँ

अमीनुद्दीन वारसी

अपने माँ देखो दीदारा

मख़्दूम ख़ादिम सफ़ी

राम बिना दुख कोऊ ना हरे

कौसर ख़ैराबादी

मन-मोहन है यार हमारा

मौलाना अ’ब्दुल क़दीर हसरत

मैं रामा की मोरा राम

मौलाना अ’ब्दुल क़दीर हसरत

अपने मां देखो दीदारा

मख़्दूम ख़ादिम सफ़ी

पर परघट भए नाम मोहम्मद

अमीनुद्दीन वारसी

छाँडो छाँडो जी बय्याँ हमारी रे

मौलाना अ’ब्दुल क़दीर हसरत

भेद की बात न जाने कोई

मख़्दूम ख़ादिम सफ़ी

सब मा हो महाराज

अमीनुद्दीन वारसी

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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