बूढ़ापन
इससे वुजूद (शारीरिक अस्तित्व) के गुणों के अपमानित होने की ओर संकेत होता है। अस्तित्व के गुण प्रेम का राज्य नहीं प्राप्त कर पाते। “निःसंदेह बादशाह जब ग्राम में प्रविष्ट होते हैं तो उसको छिन्न-भिन्न कर देते हैं तथा उसके सम्मानित व्यक्तियों को अपमानित कर देते हैं।” और कभी इससे अवस्था एवं ज्ञान के पतित बन जाने की ओर संकेत होता है और यह बात मारेफ़त के शिखर पर उत्पन्न होती है जैसा कि कहा गया है कि “अंतिम अवस्था प्रारंभ की ओर पलटने का नाम है और तुम में ऐसे भी लोग है जो अवस्था के सबसे पतित भाग की ओर लौटते हैं जिससे वे ज्ञान के उपरांत किसी वस्तु को भी न जान सके।” वास्तव में ऐसी वृद्धावस्था मारेफ़त के संसार में युवावस्था है और युवावस्था वृद्धावस्था के समान है।
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