आग़ोश पर सोहर
आग़ोश/कनार: आग़ोश अस्लन
फ़ारसी ज़बान का लफ़्ज़ है। ब-तौर-ए-इस्म-ए-जामिद इस्ति’माल होता है।उर्दू ज़बान में भी अस्ली हालत और मा’नी के साथ मुस्ता’मल है। सबसे पहले आबरू के “क़लमी नुस्ख़ा” में इसका इस्ति’माल मिलता है। तसव्वुफ़ में आग़ोश या कनार इंतिहा-ए-क़ुर्ब का इशारा है।आग़ोश में लेने का मतलब ये होता है कि आग़ोश में ली जाने वाली हस्ती इहाता में होती है। इसलिए इहाता-ए-वजूद को आग़ोश कहते हैं। इसी मा’नी में ये शे’र हैः उ’म्र बायद कि यार आयद ब-किनार ईं दौलत-ए-सरमद हमः कस रा न-देहंद (तर्जुमा:महबूब आग़ोश में आए इसके लिए ज़माना चाहिए,ये दौलत-ए-सर्मदी हर शख़्स को नहीं दी जाती)
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere