कहाँ मुमकिन है किस से इंतिज़ार-ए-यार हो मुझ सा
रहेगी फिर भी यूँही मिस्ल-ए-नर्गिस आँख वा किस की
जब वो आते नहीं शब-ए-वा'दा
मौत का इंतिज़ार होता है
अक्सर पलट गई है शब-ए-इंतिज़ार मौत
मरने न दर्द-ए-दिल ने दिया ता-सहर मुझे
एक दिन ऐसा भी होगा इंतिज़ार-ए-यार में
नींद आ जाएगी दरवाज़ा खुला रह जाएगा
जल ही गया फ़िराक़ तू आतिश से हिज्र की
आँखों में मिरी रह न सका यारो इंतिज़ार
जब निगाहें उठ गईं अल्लाह री मेराज-शौक़
देखता क्या हूँ वो जान-ए-इंतिज़ार आ ही गया
इलाही रंग ये कब तक रहेगा हिज्र-ए-जानाँ में
कि रोज़-ए-बे-दिली गुज़रा तो शाम-ए-इंतिज़ार आई
जा कहे कू-ए-यार में कोई
मर गया इंतिज़ार में कोई
हाज़िर है बज़्म-ए-यार में सामान-ए-ऐ’श सब
अब किस का इंतिज़ार है 'अकबर' कहाँ हो तुम
कसरत-ए-उम्मीद भी ऐश-आफ़रीं होने लगी
इंतिज़ार-ए-यार भी राहत-फ़ज़ा होने लगा
आ कर वो मेरी लाश पे ये कह के रो दिए
तुम से हुआ न आज मिरा इंतिज़ार भी
न आएँगे वो 'हसरत' इंतिज़ार-ए-शौक़ में यूँ-हींं
गुज़र जाएँगे अय्याम-ए-बहार आहिस्तः आहिस्तः
दिखाइए आज रू-ए-ज़ेबा उठाइए दरमियाँ से पर्दा
कहाँ से अब इंतिज़ार-ए-फ़र्दा यही तो सुनते हैं उम्र-भर से
वस्ल का इंतिज़ार ही अच्छा
ये तो 'मुज़्तर' ख़ुदा करे कि न हो
जब निगाहें उठ गईं अल्लाह-री मेराज-शौक़
देखता क्या हूँ वो जान-ए-इंतिज़ार आ ही गया
आ जाइयो यार घर से जल्दी
मत कुश्ता-ए-इंतिज़ार कीजो
न आया क्या सबब अब अलग रहा दिल-ए-इंतिज़ार आख़िर
जहाँ होवे वहाँ जा कर मुझने होना निसार आख़िर
मय से चुल्लू भर दे साक़ी जाम का क्या इंतिज़ार
अब्र आया झूम कर मौक़ा नहीं ताख़ीर का
उजाला हो तो ढूँडूँ दिल भी परवानों की लाशों में
मिरी बर्बादियों को इंतिज़ार-ए-सुब्ह-ए-महफ़िल है
ख़ल्वत-ए-इंतिज़ार में उस की
दर-ओ-दीवार का तमाशा है
दिन इंतिज़ार का तो कटा जिस तरह कटा
लेकिन किसो तरह न कटी रात रह गई
ऐ क़यामत आ भी तेरा हो रहा है इंतिज़ार
उन के दर पर लाश इक रखी है कफ़्नाई हुई
तेरे वा'दों का ए'तिबार किसे
गो कि हो ताब-ए-इंतिज़ार किसे
ये हाल खुला न कुछ भी 'इरफ़ाँ'
है तुझ को ये इंतिज़ार किस का
कर क़त्ल शौक़ से मैं तसद्दुक़ हुआ हुआ
सरकार नहीं है फ़िक्र जो हुआ इंतिज़ार-ए-ख़ास
क़यामत आ चुकी दीदार-ए-हक़ हुआ सब को
हम अब तलक भी तिरा इंतिज़ार रखते हैं
न रहा इंतिज़ार भी ऐ यास
हम उमीद-ए-विसाल रखते थे
देखो कू-ए-यार में मत हज़रत-ए-दिल राह-ए-अश्क
इंतिज़ार-ए-क़ाफ़िलः मंज़िल पे क्यूँ खींचे हैं आप
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere