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पुरनम इलाहाबादी

1940 - 2009 | लाहौर, पाकिस्तान

“भर दो झोली मेरी या मुहम्मद” लिखने वाले कवि

“भर दो झोली मेरी या मुहम्मद” लिखने वाले कवि

पुरनम इलाहाबादी

ग़ज़ल 7

शे'र 52

कलाम 8

रूबाई 1

 

ना'त-ओ-मनक़बत 14

वीडियो 20

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नुसरत फ़तेह अली ख़ान

नुसरत फ़तेह अली ख़ान

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नुसरत फ़तेह अली ख़ान

साबरी ब्रदर्स

आज कोई बात हो गई

नुसरत फ़तेह अली ख़ान

कहते हैं किस को दर्द-ए-मोहब्बत कौन तुम्हें बतलाएगा

नुसरत फ़तेह अली ख़ान

क़ासिद की उम्मीद है यारो क़ासिद तो आ जाएगा

नुसरत फ़तेह अली ख़ान

ज़मीन-ए-कर्बला पर क्या क़यामत की घड़ी होगी

नुसरत फ़तेह अली ख़ान

जवानी में अदा-ए-कम-सिनी अच्छी नहीं लगती

दाता तिरा दरबार है रहमत का ख़ज़ाना

नुसरत फ़तेह अली ख़ान

नबी सय्यदुल अंबिया के बराबर

नुसरत फ़तेह अली ख़ान

बन के आया हूँ सवाली तुम हो दुखियों के वाली

नुसरत फ़तेह अली ख़ान

बेवफ़ा से भी प्यार होता है

नुसरत फ़तेह अली ख़ान

भर दो झोली मेरी या मोहम्मद लौट कर मैं न जाऊँगा ख़ाली

साबरी ब्रदर्स

मैं हूँ दीवानी ख़्वाजा की दीवानी

साबरी ब्रदर्स

मेरा ग़म और मेरी हर ख़ुशी तुम से है

नुसरत फ़तेह अली ख़ान

शहीद-ए-कर्बला की मोमिनो जब याद आती है

नुसरत फ़तेह अली ख़ान

सुल्तान-ए-हरम हो जाए करम कुछ और तलब सरकार नहीं

साबरी ब्रदर्स

इस शान-ए-करम का क्या कहना दर पे जो सवाली आते हैं

नुसरत फ़तेह अली ख़ान

तुम्हें दिल-लगी भूल जानी पड़ेगी मोहब्बत की राहों में आ कर तो देखो

राहत फ़तेह अली ख़ान

तुम्हें दिल-लगी भूल जानी पड़ेगी मोहब्बत की राहों में आ कर तो देखो

नुसरत फ़तेह अली ख़ान

दस्तूर मोहब्बत का सिखाया नहीं जाता

राहिल फ़ारूक़

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