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Sufinama

ख़ामोशी पर अशआर

होश था बे-होशी थी बे-होशी में फिर होश कहाँ

याद रही ख़ामोशी थी जो भूल गए अफ़्साना था

बेदम शाह वारसी

जिस्म का रेशा रेशा मचले दर्द-ए-मोहब्बत फ़ाश करे

इ’शक में 'काविश' ख़ामोशी तो सुख़नवरी से मुश्किल है

अब्दुल हादी काविश

तरीक़-ए-इ’श्क़ में रहबर है अपनी ख़ामोशी

जरस का काम नहीं मेरे कारवाँ के लिए

मशरिक़ी मनेरी

मैं साज़-ए-हक़ीक़त हूँ दम-साज़-ए-हक़ीक़त हूँ

ख़ामोशी है गोयाई गोयाई है ख़ामोशी

बेदम शाह वारसी

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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