होश न था बे-होशी थी बे-होशी में फिर होश कहाँ
याद रही ख़ामोशी थी जो भूल गए अफ़्साना था
जिस्म का रेशा रेशा मचले दर्द-ए-मोहब्बत फ़ाश करे
इ’शक में 'काविश' ख़ामोशी तो सुख़नवरी से मुश्किल है
तरीक़-ए-इ’श्क़ में रहबर है अपनी ख़ामोशी
जरस का काम नहीं मेरे कारवाँ के लिए
मैं साज़-ए-हक़ीक़त हूँ दम-साज़-ए-हक़ीक़त हूँ
ख़ामोशी है गोयाई गोयाई है ख़ामोशी
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere