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Sufinama

उ’र्स

सूफ़ियों के यहाँ मौत को विसाल (मिलन) कहते हैं .सूफ़ियों का मरना उनके जीवन की तरह ही अनोखा होता है. कुछ भी नहीं मरता. फूल मिट जाता है, खुशबू शेष रह जाती है .ये खुशबू सदा के लिए होती है और मौत का दिन इनके लिए गोया अपने महबूब से मिलन का दिन होता है. इसी वजह से इनकी सालाना बरसी को उर्स कहते हैं . उर्स शब्द अरबी के अरूस शब्द से आया हैं, जिसके मानी शादी की दावत या क़ाफ़िले के पड़ाव के होते हैं .जिस तरह शादी के दिन दूल्हा और दुल्हन का मिलन होता है, धूम धाम से दावत होती है या क़ाफ़िला एक मंज़िल से दूसरी मंज़िल पर पहुंच कर पड़ाव करता है उसी प्रकार एक सूफ़ी भी दुनिया की मंज़िल से गुज़रकर आख़िरत की मंज़िल को पहुंचते हैं . इनके खुदा से मिलन की ख़ुशी में व्याह की सी धूम धाम की जाती है .

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

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