क़व्वाली के अहम मराकिज़
रोचक तथ्य
کتاب ’’قوالی امیر خسرو سے شکیلا بانو تک‘‘ سے ماخوذ۔
दुनिया-भर में क़व्वाली के अहम मराकिज़ : क़व्वाली की तर्ज़ आज दुनिया-भर में मक़बूल हैं लेकिन ख़ुसूसियत के साथ हिन्दोस्तान और पाकिस्तान उस के ख़ास मराकिज़ हैं, इन दो ममालिक के अ’लावा हिंदूस्तानियों और पाकिस्तानियों की कसीर आबादी के बाइ’स अब इंगलैंड, कुवैत, दुबई और साउथ अफ़्रीक़ा जैसे ममालिक भी क़व्वाली के सुनने वालों के अहम मराकिज़ बन गए हैं।
हिन्दोस्तान में क़व्वाली के अहम मराकिज़ : हिन्दोस्तान के तक़रीबन हर शहर, हर गांव और हर क़स्बे में क़व्वाली की मक़बूलियत आ’म है लेकिन बंबई, नागपुर, अजमेर शरीफ़, दिल्ली, हैदराबाद, लखनऊ, रामपूर, भोपाल, इंदौर, आगरा और पंजाब-ओ-राजस्थान के बेशतर शहर उसके ख़ुसूसी मराकिज़ हैं, जहाँ इसके सुनने वाले भी हैं और फ़नकार भी।
बंबई में क़व्वाली के कमर्शियल मराकिज़ : बंबई में क़व्वाली के जितने कमर्शियल प्रोग्राम होते हैं उतने हिन्दोस्तान के किसी शहर में नहीं होते, यहाँ बा-क़ायदा थियटरों के अ’लावा मुख़्तलिफ़ कॉलिजों और इदारों और थियटरों में मुस्तक़िलन जो प्रोग्राम किए जाते हैं, उनके नाम हसब-ए-ज़ैल हैं।
(1)सी जे हाल, (2) के सी कॉलेज, (3) साबू सिद्दीक़ ग्रांऊड, (4) रंग भवन, शान मुखाइंद हाल, (5) भारतीय विद्या भवन, (6) बिरला हाल, (7) पाटकर हाल, (9) तेज पाल हाल, (9) ताराबाई हाल, (10) बिरला केंद्र हाल, (11) भोला भाई देसाई हाल, (12) भाई दास हाल वग़ैरा
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