Font by Mehr Nastaliq Web
Sufinama

اشاعت : 002

سن اشاعت : 1988

زبان : ہندی

صفحات : 238

معاون : خانقاہ منعمیہ قمریہ

भारतीय पुरालिपि

کتاب: تعارف

भारतीय पुरालिपि राजबलि पांडेय द्वारा रचित प्रतलित पुस्तक है। वे संस्कृत के विद्वान, लेखक एवं इतिहासकार थे। उन्होंने हिंदू संस्कारों और वेदों के सामाजिक-धार्मिक अध्ययन पर अनेक पुस्तकें लिखीं। प्रस्तुत पुस्तक में प्राचीन काल से सन् 1200 ई. तक भारतीय लेखन-कला का इतिहास प्रस्तुत है। विषय को सुगम बनाने के लिए क्रमबद्ध प्रकरणों में उसका विवेचन प्रस्तुत है। अन्त में आवश्यक सारणियाँ भी दी गई हैं। श्री डब्ल्यू.जी. बुहलर और महामहोपाध्याय पं. गौरीशंकर हीराचन्द ओझा के बाद पुरालिपि के क्षेत्र में अनेक महत्त्वपूर्ण खोज हुए हैं। मुअनजोदड़ों और हड़प्पा की खुदाइयों के बाद इस क्षेत्र में क्रान्तिकारी और नई स्थापनाएँ हुई हैं। इन स्थानों से प्राप्त सामग्रियों से भारतीय लेखन-कला की प्राचीनता और उसकी उत्पत्ति के सम्बन्ध में बड़ा विवाद उठ खड़ा हुआ है। इस हालत में भारतीय पुरालिपि पर एक ऐसी पुस्तक की बड़ी उपयोगिता है। इस पुस्तक ने पुरालिपि क्षेत्र के तीस वर्षों का व्यवधान पाटने का काम किया है।

.....مزید پڑھئے
بولیے