Sufinama

ये इश्क़ की है सरकार 'अहक़र' गु़स्स: भी यहाँ है प्यार भी है

अहक़र बिहारी

ये इश्क़ की है सरकार 'अहक़र' गु़स्स: भी यहाँ है प्यार भी है

अहक़र बिहारी

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    ये इश्क़ की है सरकार 'अहक़र' गु़स्स: भी यहाँ है प्यार भी है

    हर ज़ख़्म-ए-जिगर के फाहे में काफ़ूर भी है ज़ंगार भी है

    हज़रत-ए-दिल नादाँ बनो रखो क़दम इस कूचः में

    ये उस की गली का रस्तः है पुर-ख़ौफ़ भी है पुर-ख़ार भी है

    क्या मय में मिलाया है तू ने क्या बात है इस में साक़ी

    जो रिंद है इस मयख़ाने का मदहोश भी है हुशियार भी है

    ये राज़ की बातें हैं इस को समझे तो कोई क्यूँकर समझे

    इंसान है पुतला हैरत का मजबूर भी है मुख़्तार भी है

    हैरान है तेरे मज़हब से सब गबरू मुसलमाँ 'अहक़र'

    ये उस की गली का रस्तः है पुर-ख़ौफ़ भी है पुर-ख़ार भी है

    डरता ही रहे इंसाँ इस से उम्मीद गर है बख़्शिश की

    हैं नाम इसी के ये दोनों ग़फ़्फ़ार भी है क़हहार भी है

    स्रोत :
    • पुस्तक : बिहार में उर्दू की सुफ़ियानः शाएरी (पृष्ठ 181)
    • रचनाकार : मोहम्मद तय्यब अब्दाली
    • प्रकाशन : इसरार करीमी, इल्लाहाबाद (1988)
    • संस्करण : First

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