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Sufinama

इक बर्क़-ए-तजल्ली ने मेरी ता'मीर के टुकड़े कर डाले

अमजद हैदराबादी

इक बर्क़-ए-तजल्ली ने मेरी ता'मीर के टुकड़े कर डाले

अमजद हैदराबादी

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    इक बर्क़-ए-तजल्ली ने मेरी ता'मीर के टुकड़े कर डाले

    तदबीर के टुकड़े कर डाले तक़दीर के टुकड़े कर डाले

    पाया था जब तक उस बुत को मैं अपनी परस्तिश करता था

    हाथ आगई जब असली सूरत तस्वीर के टुकड़े कर डाले

    भूला हुआ जब तक था चुप था जब आगई उस को याद-ए-वतन

    इक चश्म-ए-ज़दन में क़ैदी ने ज़ंजीर के टुकड़े कर डाले

    शह-रग के क़रीब वो रहता था किस तरह गला कट सकता था

    नाज़ुक-सी रग-ए-गर्दन ने मेरी शमशीर के टुकड़े कर डाले

    अफ़्साना-ए-ग़म कहने के लिए सोचे तो बहुत कुछ थे 'अमजद'

    इक तेज़ नज़र ने ज़ालिम की तक़दीर के टुकड़े कर डाले

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