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निगाह-ए-अक़रिबा बदली मिज़ाज-ए-दोस्ताँ बदला

ख़्वाजा अज़ीज़ुल हसन मजज़ूब

निगाह-ए-अक़रिबा बदली मिज़ाज-ए-दोस्ताँ बदला

ख़्वाजा अज़ीज़ुल हसन मजज़ूब

MORE BYख़्वाजा अज़ीज़ुल हसन मजज़ूब

    निगाह-ए-अक़रिबा बदली मिज़ाज-ए-दोस्ताँ बदला

    नज़र इक उन की क्या बदली कि मुझ से कुल जहाँ बदला

    चमन का रंग गो तूने सरासर ख़िज़ाँ बदला

    हम ने शाख़-ए-गुल छोड़ी हम ने आशियाँ बदला

    तरीक़-ए-'इश्क़ में गो कारवाँ पर कारवाँ बदले

    हम ने रहगुज़र बदली मीर-ए-कारवाँ बदला

    करूँ क्या दिल है बा-सद ज़ोहद-ओ-तक़्वा माइल-ए-रिन्दी

    जिबिल्लत क्या बदल सकती 'अमल को अपने हाँ बदला

    कभी हम कह सके हमदम खुल कर हाल-ए-दिल उन से

    कि हर लफ़्ज़ अपना सौ बार आते आते ता-ज़बाँ बदला

    अरे तौबा कोई हद है भला इस बद-गुमानी की

    ज़रा मैं पास जा बैठा कि उस ने पासबाँ बदला

    बहुत गो 'इश्क़ में 'मज्ज़ूब' बदला तुम ने हाल अपना

    मगर जैसा बदलना चाहिए वैसा कहाँ बदला

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