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किताब-ए-ज़िंदगी के सुर्ख़ अफ़्साने भी बदलेंगे

असलम लखनवी

किताब-ए-ज़िंदगी के सुर्ख़ अफ़्साने भी बदलेंगे

असलम लखनवी

MORE BYअसलम लखनवी

    किताब-ए-ज़िंदगी के सुर्ख़ अफ़्साने भी बदलेंगे

    बहारें फूल बरसाएँगी वीराने भी बदलेंगे

    कभी तो फ़ैसला होगा मन-ओ-तू के मबाहिस का

    हरम वाले तो बदले हैं सनम-ख़ाने भी बदलेंगे

    अभी तो चाक-दामाँ हैं चुनेंगे एक दिन तिनके

    जुनूँ हद से गुज़रने दो ये दीवाने भी बदलेंगे

    क़राइन कह रहे हैं इंक़लाब इक और आएगा

    शिकस्ता झोंपड़े बदले हैं काशाने भी बदलेंगे

    दिखाए जाएँ ठंडी गर्मियाँ दौलत के मतवाले

    लगी तो जब बुझेगी जब ये ख़स-ख़ाने भी बदलेंगे

    मुझे शिकवा नहीं साक़ी तिरी इस कम-निगाही का

    अगर मय-ख़्वार बदले हैं तो मयख़ाने भी बदलेंगे

    नहीं मा'लूम शम्अ-ए-अंजुमन का हश्र क्या होगा

    रविश अपनी अगर महफ़िल में परवाने भी बदलेंगे

    समझते हैं हमारा ख़ून 'असलम' रंग लाएगा

    अगर उ'न्वान बदले हैं तो अफ़्साने भी बदलेंगे

    स्रोत :
    • पुस्तक : तज़्किरा-ए-शो’रा-ए-उत्तर प्रदेश जिल्द दसवीं (पृष्ठ 47)
    • रचनाकार : इरफ़ान अ’ब्बासी

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