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Sufinama

हमन असरार-ए-वहदत का नफ़ी इसबात में देखा

क़ादिर बख़्श बेदिल

हमन असरार-ए-वहदत का नफ़ी इसबात में देखा

क़ादिर बख़्श बेदिल

MORE BYक़ादिर बख़्श बेदिल

    हमन असरार-ए-वहदत का नफ़ी इसबात में देखा

    सरासर नूर-ए-बे-रंगी ज़ुहूरन ज़ात में देखा

    नफ़ी जब तक हो हरगिज़ पावे ज़ौक़-ए-असबाती

    उसी शतरंज का हम जीतना अब मात में देखा

    कोई जो हो रहा आशक अलख बेचूँ मुनज़्ज़ह पर

    अरूप-ओ-रूप का उस ने लिक़ा लम्हात में देखा

    होवे बुल-हवस राग़िब प्याले का ब-पिंदारी

    कि जाम-ओ-तेग़ हम वल्लाह सजन के हाथ में देखा

    किसी मंसूर से पूछा सबब इफ़्शा-ए-मा'नी का

    कहा मैं मतलब-ए-वाला अभी इस बात में देखा

    ये 'बेदिल' सुन फ़ी-अनफोसेकुम उस मा'शूक़-ए-हमदम से

    कि हम-मिस्बाह-ए-अहदियत उसी मिश्कात में देखा

    स्रोत :
    • पुस्तक : बेदिल जो उर्दू कलाम (पृष्ठ 108)
    • रचनाकार : फ़क़ीर क़ादिर बख़्श बेदिल
    • प्रकाशन : सच्चाई इशाअ'त घर, पाकिस्तान (1997)

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