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Sufinama

जो यतीमों पे मोहब्बत की नज़र रखते हैं

सग़ीर अहमद फ़रोग़

जो यतीमों पे मोहब्बत की नज़र रखते हैं

सग़ीर अहमद फ़रोग़

MORE BYसग़ीर अहमद फ़रोग़

    जो यतीमों पे मोहब्बत की नज़र रखते हैं

    अपने दामन में वो अनमोल गुहर रखते हैं

    ये अलग बात है शिकवा नहीं करते लेकिन

    हर सितम आप का हम ज़ेर-ए-नज़र रखते हैं

    ख़ार राहों में बिछा कर डराओ हम को

    हम तो शो'लों पे भी चलने का हुनर रखते हैं

    वो नहीं डरते ज़माने के सितम-गारों से

    अपने सीने में जो शेरों का जिगर रखते हैं

    धूप ख़ुद ओढ़ के देते हैं जो हम को साया

    किस क़दर फ़िक्र हमारी ये शजर रखते हैं

    नाज़ है तुम को तो है फ़ख़्र हमें भी ख़ुद पर

    हुस्न तुम रखते हो हम हुस्न-ए-नज़र रखते हैं

    ले के साहिल पे सफ़ीने को पहुँचते हैं वही

    अपने दिल में जो फ़रोग़-ए-’अज़्म-ए-सफ़र रखते हैं

    स्रोत :
    • पुस्तक : Sukhan Waraan-e-Izzat (पृष्ठ 82)

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