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Sufinama

काम के दोनों हैं पर दोनों हैं ऐ यार अबस

शाह अकबर दानापूरी

काम के दोनों हैं पर दोनों हैं ऐ यार अबस

शाह अकबर दानापूरी

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    काम के दोनों हैं पर दोनों हैं यार अबस

    कुफ़्र में सुब्हा अबस दीन में ज़ुन्नार अबस

    लड़े मरते हैं यूँ ही काफ़िर-ओ-दींदार अबस

    उन की रंजिश है अबस उन की है तकरार अबस

    पगड़ी बन जाये मय-ख़्वारों की दस्तार-ए-शरीफ़

    मोहतसिब करते हो मय-नोशों से तकरार अबस

    कमर उस की नज़र आए साबित हो दहन

    गुफ़्तुगू उस में अबस उस में है तकरार अबस

    बाग़-ए-दुनिया में जो आए तो यही फल पाया

    हो गए हम से सुबुक-दोश गिराँ-बार अबस

    है तिरे ख़ून-ए-जिगर से नहीं कम बादः-ए-नाब

    तू हो साथ तो है सैर-ए-चमन यार अबस

    दाम-ए-गेसू से रिहाई हो तो पहुँचूँ तुझ तक

    फ़िक्र मेरी है मुझे हल्क़ः-ए-ज़ुन्नार अबस

    एक दिन भी मिरे दिल के फफूले टूटे

    नोक की लेती है मिज़्गाँ सिफ़त-ए-ख़ार अबस

    क़त्ल-ए-उश्शाक़ को क्या जुम्बिश-ए-अबरू कम है

    दस्त-ए-नाज़ुक में है ये नीमचः यार अबस

    रहमत-ए-साक़ी-ए-कौसर है शफ़ाअत के लिए

    मय-कशो छोड़ते हो ख़ान:-ए-ख़ुमार अबस

    हामी उन के हैं शफ़ी-ए-दो-जहाँ 'अकबर'

    डरते हैं मालिक-ए-दोज़ख़ से गुनहगार अबस

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