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Sufinama

कौन अलबेला रमता-जोगी रूप-नगर में आया है

तुफ़ैल हुश्यारपुरी

कौन अलबेला रमता-जोगी रूप-नगर में आया है

तुफ़ैल हुश्यारपुरी

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    कौन अलबेला रमता-जोगी रूप-नगर में आया है

    दर्शन जल की प्यास बढ़ी है जिस ने दर्शन पाया है

    रूप अनूप है उस का आली मतवाले मतवाले नैन

    चंदा ऐसा मुखड़ा उस का राम ने आप बनाया है

    अंग-अंग से मस्ती बरसे नैनों से रस की बूँदें

    किस बैरन ने जोबन रुत में उस का चैन उड़ाया है

    घुँघट घुँघट चंदा चमके आँगन आँगन फूल खिले

    रूप-नगर की जिन गलियों में उस ने अलख जगाया है

    कुंज कुंज में उस की बातें पनघट पनघट उस की याद

    रूप-नगर में उस जोगी के रूप ने रंग जमाया है

    इक इक मन में हूक उठाए उस की बंसी का संगीत

    किस सजनी का साजन है वो किस माता का जाया है

    कोई समझे कोई जाने उस के दुखिया मन का रोग

    ऐसा लगता है माटी में उस ने ला'ल गंवाया है

    कोई पूछे उस जोगी से जोगी मन की बात बता

    किस के कारन जोग लिया है क्यूँ जग को ठुकराया है

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