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कहानी-43- फ़क़ीरी गुलिस्तान-ए-सा’दी

सादी शीराज़ी

कहानी-43- फ़क़ीरी गुलिस्तान-ए-सा’दी

सादी शीराज़ी

MORE BYसादी शीराज़ी

    एक बुज़ुर्ग ने एक पहलवान को देखा। वह ग़ुस्से से भरा हुआ था और उसके मुंह से झाग निकल रहा था।

    बुज़ुर्ग ने लोगों से पूछा, इस पहलवान को क्या हो गया है?

    लोगों ने बताया कि किसी ने इसे गाली दी थी, जिसके कारण यह ग़ुस्से से पागल हो रहा है।

    बुज़ुर्ग बोला, यह दुष्ट हज़ार मन का पत्थर उठा लेता है और ज़रा सी बात नहीं बर्दाश्त कर सकता है!

    पहलवानी की डींग मत मार और बहादुरी का दावा’ छोड़ दे। जो मर्द दुष्टता के क़ाबू में गया उसे औ’रत समझ।'

    किसी के मुंह पर मुक्का मार देना बहादुरी नहीं। हो सके तो उसका मुंह मीठा कर दे।

    हाथी का माथा फाड़ देना बहादुरी नहीं।सच्ची बहादुरी इन्सानियत में है। आदम की औलाद मिट्टी से पैदा हुई है। उसमें मिट्टी जैसी नम्रता नहीं तो वह आदमी नहीं।'

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