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एक 'आलम है कि मक़्तल में है क़ातिल की तरफ़

आसी गाज़ीपुरी

एक 'आलम है कि मक़्तल में है क़ातिल की तरफ़

आसी गाज़ीपुरी

MORE BYआसी गाज़ीपुरी

    एक 'आलम है कि मक़्तल में है क़ातिल की तरफ़

    धार ख़ंजर की फ़क़त ’आशिक़-ए-बे-दिल की तरफ़

    उस से माँगा भी अगर कुछ तो उसी को माँगा

    देखना हौसला-ओ-हिम्मत साएल की तरफ़

    निस्बत-ए-शिर्क ब-जुज़ तोहमत-ए-बेजा क्या है

    दिल है जब उस की तरफ़ रुख़ है वसाएल की तरफ़

    तर्क-ए-दुनिया तो है दुनिया-तलबी से आसाँ

    छोड़ कर सहल 'अबस जाते हैं मुश्किल की तरफ़

    कौन इस घाट से उतरा कि जनाब-ए-'आसी'

    बोसा लेने को झुके हैं लब-ए-साहिल की तरफ़

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