मा'लूम नहीं ये बात है क्या सरकार तुम्हारी महफ़िल में
मा'लूम नहीं ये बात है क्या सरकार तुम्हारी महफ़िल में
अब्दुल हादी काविश
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मा'लूम नहीं ये बात है क्या सरकार तुम्हारी महफ़िल में
दिल और धड़कता है ज़्यादा सरकार तुम्हारी महफ़िल में
ये क़ाल नहीं है हाल है ये क़दमों में तड़पता है बिस्मिल
मरने में भी है जीने का मज़ा सरकार तुम्हारी महफ़िल में
करते हो दिलों का सौदा तुम ईमान के तुम रहज़न ठहरे
हम ने भी हर इक शय दी है लुटा सरकार तुम्हारी महफ़िल में
क्या दिल में तमन्ना हो उस के किस चीज़ की चाहत हो उस को
सर अपना दिया हो जिस ने कटा सरकार तुम्हारी महफ़िल में
ये बात नहीं है कहने की 'काविश' ने मगर ख़ुद देखा है
आ'शिक़ भी तो हो जाता है फ़ना सरकार तुम्हारी महफ़िल में
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