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'अजब करम शह-ए-वाला तबार करते हैं

हसन रज़ा बरेलवी

'अजब करम शह-ए-वाला तबार करते हैं

हसन रज़ा बरेलवी

MORE BYहसन रज़ा बरेलवी

    'अजब करम शह-ए-वाला तबार करते हैं

    कि ना-उम्मीदों को उम्मीद-वार करते हैं

    जो ख़ुश-नसीब यहाँ ख़ाक-ए-दर पे बैठे हैं

    जुलूस-ए-मसनद-ए-शाही से 'आर करते हैं

    सुना के वस्फ़ रुख़-ए-पाक-ए-'अंदलीब को हम

    रहीन-ए-आमद-ए-फ़स्ल-ए-बहार करते हैं

    बनाई पुश्त का'बा की उन के घर की तरफ़

    जिन्हें ख़बर है वो ऐसा वक़ार करते हैं

    सगान-ए-कू-ए-नबी के नसीब पर क़ुर्बां

    पड़े हुए सर-ए-रह इफ़्तिख़ार करते हैं

    कुशूद 'उक़्दा-ए-मुश्किल की क्यूँ मैं फ़िक्र करूँ

    ये काम तो मिरे तैबा के ख़ार करते हैं

    'हसन' की जान हो उस वुस'अत-ए-करम पे निसार

    कि इक जहान को उम्मीद-वार करते हैं

    स्रोत :
    • पुस्तक : नात के चन्द शोरा-ए-मोतक़ीदीन (पृष्ठ 115)

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