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Sufinama

दिल तपा हुस्न-ए-सरमदी के लिए

शाह अलिमुल्लाह सफ़ी

दिल तपा हुस्न-ए-सरमदी के लिए

शाह अलिमुल्लाह सफ़ी

MORE BYशाह अलिमुल्लाह सफ़ी

    दिल तपा हुस्न-ए-सरमदी के लिए

    आँख पुर-नम है फिर किसी के लिए

    दैर-ओ-का'बा को छोड़ आया हूँ

    एक काफ़िर की बंदगी के लिए

    चश्म-ए-साक़ी की याद काफ़ी है

    हश्र तक एक बे-ख़ुदी के लिए

    होंट आब-ए-हयात से लबरेज़

    ज़ख़्मी रूहों की तिश्नगी के लिए

    है तसव्वुर में हुस्न-ए-ताब उस का

    शब की ज़ुल्मत में रौशनी के लिए

    'उम्र-भर के लिए असीर हुए

    उस को देखा था दिल-लगी के लिए

    मिस्ल-ए-ख़ुशबू हुआ हूँ आवारा

    दर बदर एक अजनबी के लिए

    ख़ुद ही रोज़-ए-अलस्त बछड़ा था

    अब है बे-चैन वापसी के लिए

    मक़्सद-ए-ज़िंदगी नहीं मा'लूम

    जी रहा हूँ एक आदमी के लिए

    'इश्क़ बिन ज़िंदगी नहीं कुछ भी

    काश मिट जाए तू किसी के लिए

    महव-ए-इसबात हूँ 'अलीमुल्लाह'

    उस के हर ग़ैर की नफ़ी के लिए

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    सलामत अली ख़ान

    सलामत अली ख़ान

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