वो बना रहे हैं बे-ख़ुद मुझे सामने बिठा के
रोचक तथ्य
فلم ’’ہمراہی‘‘ کے نغمہ ’’وہ چلے جھٹک کے دامن‘‘ کی طرز پر۔ علاوہ ازیں اسمعٰیل آزاد قوال نے اپنی آواز دی ہے۔
वो बना रहे हैं बे-ख़ुद मुझे सामने बिठा के
कभी जाम से पिला के कभी आँख से पिला के
ये शराब है ख़ुदी की ये नशा है बंदगी का
इसे जो भी पीना चाहे वो पिए नज़र बचा के
तिरी आँख से जो टपकी वो तो हो गई तबर्रुक
कोई पी गया चुरा के कोई पी गया छुपा के
मिरी ज़िंदगी में साक़ी कोई रात ऐसी आए
तिरे मय-कदे से लौटूँ मैं शराब में नहा के
जिसे वो पिलाएँ 'अनवर' उसे बख़्श दें जुदाई
सभी जानते हैं उन को वो हबीब हैं ख़ुदा के
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