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Sufinama

यही मेरा मज़हब यही मेरा ईमाँ मेरा जिस्म ग़ाज़ी मिरी रूह ग़ाज़ी

अनवर फ़र्रूख़ाबादी

यही मेरा मज़हब यही मेरा ईमाँ मेरा जिस्म ग़ाज़ी मिरी रूह ग़ाज़ी

अनवर फ़र्रूख़ाबादी

MORE BYअनवर फ़र्रूख़ाबादी

    रोचक तथ्य

    شیخ لعل قوال نے اسے اپنی آواز دی ہے۔

    यही मेरा मज़हब यही मेरा ईमाँ मेरा जिस्म ग़ाज़ी मिरी रूह ग़ाज़ी

    तुम्हारे तसव्वुर के सदक़े में आक़ा नज़र भी नमाज़ी है दिल भी नमाज़ी

    ख़ुदा की क़सम कोई दुखिया सवाली मदीना से आता नहीं हाथ ख़ाली

    बड़े बंदा-पर्वर हैं यसरिब के वाली बहुत 'आम है उन की बंदा-नवाज़ी

    यहीं से फ़क़ीरों को मिलती है मेरी यहीं ख़्वाजगी है यहीं दस्त-गीरी

    दर-ए-मुस्तफ़ा फिर दर-ए-मुस्तफ़ा है ख़ुदारा लगा दे मुक़द्दर की बाज़ी

    कहूँ क्या मैं अपने दुखे दिल की हालत जीने की मोहलत मरने की फ़ुर्सत

    यही वक़्त है शफ़ी-ए'-क़ियामत दिखा दीजिए शान-ए-मुफ़्लिस-नवाज़ी

    ये सच है कि दुनिया मुख़ालिफ़ है 'अनवर' मगर मेरे हामी हैं महबूब-ए-दावर

    मुझे क्या डराएँगे मेरे मुख़ालिफ़ कि मरने से डरता नहीं कोई ग़ाज़ी

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