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Sufinama

बदल सकती हैं कब तक़दीर-ए-आ'लम उन की तदबीरें

सीमाब अकबराबादी

बदल सकती हैं कब तक़दीर-ए-आ'लम उन की तदबीरें

सीमाब अकबराबादी

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    बदल सकती हैं कब तक़दीर-ए-आ'लम उन की तदबीरें

    ख़ुदा के हाथ में ख़ुद हैं ख़ुदी वालों की तक़दीरें

    किए जाएँ मुझे तहलील-ए-आज़ादी की तदबीरें

    घुलेंगे पाँव तो ख़ुद ही उतर जाएँगी ज़ंजीरें

    अभी महरम नहीं तो अश्क-ओ-आह-ए-आख़िर-ए-शब का

    हयात-अफ़रोज़ हैं आब-ओ-हवा-ए-दिल की तासीरें

    ये दुनिया-ए-मजाज़ आईना-ख़ाना है हक़ीक़त का

    छुपा कर अपनी सूरत फेंक दी हैं अपनी तस्वीरें

    मिरी ख़ामोशियों पर मुझ को दुनिया ता'न देती है

    ये क्या जाने कि चुप रह कर भी की जाती हैं तक़रीरें

    ब-क़द्र-ए-फ़ितरत-ए-इंसानियत 'सीमाब' नादिम हूँ

    मैं दानिस्ता नहीं करता हूँ हो जाती हैं तक़्सीरें

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