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Sufinama

ये तमन्ना थी कि तकमील-ए-तमन्ना करते

फ़ना बुलंदशहरी

ये तमन्ना थी कि तकमील-ए-तमन्ना करते

फ़ना बुलंदशहरी

MORE BYफ़ना बुलंदशहरी

    ये तमन्ना थी कि तकमील-ए-तमन्ना करते

    सामने तुझ को बिठा के हम तेरी पूजा करते

    कुछ होता जो मोहब्बत में तो ऐसा करते

    हम तेरे हुस्न से ईमान का सौदा करते

    सब नमाज़ें ही इक सज्दे में अदा हो जातीं

    बे-ख़ुदी में जो दर-ए-यार पे सज्दा करते

    'इश्क़ बख़्शा था तो फिर ऐसी नज़र की होती

    दिल के आईने में जल्वा तेरा देखा करते

    सज्दा करने को अगर मिलता तेरा नक़्श-ए-क़दम

    हरम और दैर में कर तुझे सज्दा करते

    काश इस तरह से तकमील-ए-इबादत होती

    शौक़-ए-सज्दा में क़दम यार के चूमा करते

    'फ़ना' यार का दीदार अगर हो जाए

    जान क्या चीज़ है ईमान का सौदा करते

    स्रोत :
    • पुस्तक : Kulliyat-e-Fana Bulandshahri

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