'अजब दिलकश है शक्ल उस की 'अजब है चाल मस्ताना
'अजब दिलकश है शक्ल उस की 'अजब है चाल मस्ताना
हाजी अब्दुल्लाह अकबरी
MORE BYहाजी अब्दुल्लाह अकबरी
'अजब दिलकश है शक्ल उस की 'अजब है चाल मस्ताना
दिखा कर इक झलक मुझ को बनाया अपना दीवाना
हमारे दम से है साक़ी मिरा आबाद मय-ख़ाना
हमारी वज्ह से दिन-रात है गर्दिश में पैमाना
पिला चुल्लू ही से मुझ को इक मुद्दत से प्यासा हूँ
कहाँ का जाम साक़ी किस का साग़र कैसा पैमाना
ख़ुशी है किस की आमद का जो तू सरगर्म है ऐसा
सजा है किस की ख़ातिर मेरे साक़ी आज मय-ख़ाना
बुतों ने घर बनाया हो गया आबाद दिल मेरा
नहीं तो एक मुद्दत से पड़ा था यूँ ही वीराना
गुज़र नाम-ए-ख़ुदा अब तो है इस में ख़ूब-रूयों का
बनाया है बुतों ने दिल को मेरे अपना बुत-ख़ाना
दु'आ देते हैं तुझ को सब ये रिंदान-ए-ख़राबाती
ख़बर ले उन की ऐ साक़ी रहे आबाद मय-ख़ाना
ख़बर ले अपने अहक़र की ज़रा ऐ ग़ैरत-ए-लैला
गदा बन कर है बैठा तेरे दर पर तेरा दीवाना
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