मुझे है काम सतगुरु से जगत रूठे तो रूठन दे
मुझे है काम सतगुरु से जगत रूठे तो रूठन दे
बन्धु जन पत्नी माता धन अगर छूटे तो छूटन दे
ध्यान सतगुरु के करने में सदा संकट भी आए गर
न छोड़ूँ भजन सतगुरु का ये आत्मा तन से छूटन दे
करूँ कलियाँ में अपना सदा सतगुरु के सेवा से
चतुर्वेदाँ सेवा करने में मेरे थरगन भी छूटन दे
मेनु वकयाशदी से मैं नाम लूँ प्यारे सतगुरु का
ये मेरी नरक की भीती-ओ-आशा स्वर्ग छूटन दे
किया संकट को दूर वेंकट मेरी गुरु चिश्ती नायब ने
फिरूँ मैं मस्त उल्फ़त में ये दुनिया कुछ भी बोलन दे
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