बख़्त-ए-ख़ुफ़्ता को जगा लूँ तो चले जाइएगा
बख़्त-ए-ख़ुफ़्ता को जगा लूँ तो चले जाइएगा
अपनी बिगड़ी को बना लूँ तो चले जाइएगा
एक नज़र देखने की और भी इक हसरत है
मैं ज़रा होश में आ लूँ तो चले जाइएगा
आप के बा'द ये दिल-ए-ज़िंदगी कर देगा हराम
पहले मैं जान से जा लूँ तो चले जाइएगा
दिल में अब रहने की हामी नहीं भरता कोई
ना-मुरादी को बुला लूँ तो चले जाइएगा
ख़्वाहिश-ओ-आरज़ू हसरत-ओ-अरमान-ओ-उम्मीद
ख़ाक में सब को मिला लूँ तो चले जाइएगा
तिफ़्ल-ए-दिल नाज़ों का पाला है मचल जाएगा
इस से कुछ बात बना लूँ तो चले जाइएगा
कौन ऐसा है मिलेगा जो दिल-ए-वीराँ में
आग उस घर को लगा लूँ तो चले जाइएगा
आप के शर्बत-ए-दीदार का प्यासा है ये दिल
तिश्नगी उस की बुझा लूँ तो चले जाइएगा
सूरत-ए-हस्ती-ए-मौहूम ‘निसार’-ए-ख़स्ता
आप के आगे मिटा लूँ तो चले जाएगा
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